कमल गर्ग
अपने यहां परंपरा है की पहली रोटी गाय को और आखरी रोटी कुत्ते को जहां तक सवाल है कुछ ना कुछ सोच विचार कर यह बनाया गया होगा, लेकिन मैं देखता हूं यहां पर कुत्ते रात भर भोंकते रहते हैं और नींद में खलल होती है ।सुबह उठकर देखते हैं तो रैंप के ऊपर ,सीढ़ियों के ऊपर लैट्रिन की हुई होती है साथ ही जैसे ही गाड़ी आकर खड़ी होती है टांग ऊंची करके पेशाब करके गंदगी करते रहते हैं अब क्या कहें हमारे बुजुर्ग सही थे या गलत लेकिन कुत्ता शाला अजमेर में क्यों खोली गई थी, इसीलिए कि आवारा और बीमार कुत्तों को रख सकें और वह आखरी रोटी इकट्ठा करने के लिए कुत्ता शाला से पीपा लेकर एक कार्मिक आया करता था क्या यही व्यवस्था आज नहीं हो सकती नगर परिषद से पिंजरे आया करते थे कुत्तों को पकड कर ले जाते थे। शेर काटते नहीं, कुत्ते के काटे का इलाज नहीं ,लाखों लोग मर जाते हैं
बुधवार, 9 दिसंबर 2020
कुत्ता शाला अजमेर में क्यों खोली गई थी?
शनिवार, 5 दिसंबर 2020
...जब प्रकाश सेठी अजमेर आये
कांग्रेस के युवा नेता संजय गांधी की मार्च 1980 में होने वाली यात्रा की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिये उस वक्त के केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रकाश सेठी अजमेर आये, उन्होंने सुभाष उद्यान में आयोजित होने वाले सर्व धर्म सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया। श्री सेठी ने सर्किट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत की।अजमेर के दो प्रमुख दैनिक के सिटी चीफ श्री श्याम जी (नवज्योति) और मैं प्यारे मोहन त्रिपाठी (न्याय) ने ही सेठी जी से बातचीत की। पास में खड़े हैं अजमेर पश्चिम के विधायक किशन मोटवानी व सत्य किशोर सक्सेना जी।उल्लेखनीय है कि प्रकाश सेठी जी की लड़की अजमेर में विधायक रहे माणक चन्द जी सोगानी के पुत्र को ब्याही गयी थी।
प्यारे मोहन त्रिपाठी
संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क (रि)
अजमेर
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