गुरुवार, 15 सितंबर 2011
उसे चैन नहीं था
उसे चैन नहीं था
अनगिनत
इच्छाएं रखता था
निरंतर
सपने बुनता था
इच्छाओं पर
नियंत्रण ना था
एक पूरी होती
दूसरी के लिए रोता था
सदा असंतुष्ट रहता था
उसे पता नहीं था
चैन रेगिस्तान में
मरीचिका
सामान होता
मृग सा मन खोज में
भटकता रहता
निरंतर अतृप्त रहता
चैन पाना
तो मन मष्तिष्क को
वश में रखना होगा
संतुष्टी को
उद्देश्य बनाना होगा
जीवन को
सादा बनाना होगा
थोड़े में जीना होगा
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
(डा. राजेंद्र तेला निरंतर पेशे से दन्त चिकित्सक हैं। कॉमन कॉज सोसाइटी, अजमेर के अध्यक्ष एवं कई अन्य संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। समाज और व्यक्तियों में व्याप्त दोहरेपन ने हमेशा से उन्हें कचोटा है । अपने विचारों, अनुभवों और जीवन को करीब से देखने से उत्पन्न मिश्रण को कलम द्वारा कागज पर उकेरने का प्रयास करते हैं। गत 1 अगस्त 2010 से लिखना प्रारंभ किया है।) उनका संपर्क सूत्र है:- rajtelav@gmail.com www.nirantarajmer.com www.nirantarkahraha.blogspot.com
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