शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

मनुष्य बना कर रखना तुम

तानाशाह का अंत
का अंत समय था
अंतिम क्षण मन में
सोच रहा था
क्यों इर्ष्या,द्वेष,अहम्
अहंकार में
व्यर्थ किये करोड़ों क्षण
छोड़ जाऊंगा पीछे अब
मनों में
खट्टी यादें लोगों के
याद कर
जिन्हें तिलमिलायेंगे वो
खुल कर गाली देंगे
चीख चीख कर मेरा सत्य
संसार को बताएँगे
मेरी कब्र पर
एक फूल भी ना चढ़ाएंगे
धन दौलत सब पीछे रह
जायेगी
परिवार की दुर्गती होगी
क्यों समझ नहीं आया
जीवन भर
निरंतर
भटकता रहा खुदा के
पथ से
अहम्, अहंकार ताकत ने
मुझ को
मनुष्य से राक्षस बनाया
अब आँख मुंदने वाली है
अंतिम दुआ मान लो
मालिक
जन्म फिर से अवश्य देना
पर सम्राट नहीं बनाना तुम
अपनों से दूर ना होने देना
अहम् अहंकार से दूर
रखना
मनुष्य बना कर
रखना तुम


(लीबिया के तानाशाह शासक,कर्नल गद्दाफी की मौत पर)

आगे क्या होने वाला है ?

उम्र ढलने लगी थी
झुर्रियां बढ़ने लगी थी
सोच कांपने लगा था
विचारों का मंथन
त्वरित गति से
होने लगा था
आगे क्या होने वाला है ?
साफ़ दिखने लगा था
एक अजीब सा भय
मन में घर करने लगा
जीवन डगर
समाप्त होने का समय
अब दूर ना था
क्या होगा ?
कब अंत आयेगा ?
क्यों मनुष्य को
फिर लौटना पड़ता है
निरंतर मष्तिष्क में
सवाल कचोटने लगा
क्या करूँ
जिससे अंत समीप
ना आये
बहुत सहा जीवन में
जैसा चाहा
वैसा मिला नहीं
फिर भी जीने की चाह
कम ना हुयी
परमात्मा अब पहले से
अधिक याद आने लगा
अधिक से अधिक

जी सकूँ
जाऊं भी तो चुपके से
पता भी ना चले
नाम मात्र भी

कष्ट ना सहना पड़े
रात सोऊँ सवेरे
जागूँ ही नहीं
यही सोच बार बार
मन में
आने लगा था


डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
"GULMOHAR"
H-1,Sagar Vihar
Vaishali Nagar,AJMER-305004
Mobile:09352007181

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