आज कल बहुत चर्चा हो रही है आमिर खान के नए शो सत्यमेव जयते की पहला एपिसोड उन्होंने कन्या भ्रूण ह्त्या के बारे में दिखाया, मैंने वैसे देखा तो नहीं किन्तु यदि ऐसा कोई शो या लेख देख पढ़ कर कोई एक इंसान भी यदि भ्रूण ह्त्या का विचार त्याग दें तो शायद करोड़ों के बजट से बना हुआ कोई भी शो या फिल्म सार्थक हो जायेगी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आमिर खान के टीवी शो �सत्यमेव जयते� का पहला ही एपीसोड हिट हो जाने के बाद आमिर से मिलने की आतुरता प्रदर्शित की। आमिर इसी शो में पहले ही कह चुके थे कि वे राजस्थान सरकार को चिट्ठी लिखेंगे कि कन्या भ्रूण हत्या के अपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए राजस्थान में एक विशेष न्यायालय स्थापित करें, जिस से उन का निर्णय शीघ्र हो सके और गवाहों को अधिक परेशानी न हो। राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकार ने इस तरह के मामलों के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना के लिए विचार किया है आमिर खान की पहल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह के बाद गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कन्या भ्रूण हत्या मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने पर सहमति दे दी। गहलोत ने कन्या भ्रूण हत्या के मामले में ठोस कदम उठाने और फास्ट ट्रैक कोर्ट के मामले को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को बैठक की। बैठक में एनजीओ के साथ मेडिकल विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। राजस्थान की सरकार भी इस कार्यक्रम के माध्यम से वाहवाही लूटने को तैयार है. एक ही दिन में आमिर ख़ान मुख्यमंत्री से मिले. फिर मुख्यमंत्री मुख्य न्यायाधीश से मिले. दोनों एक ही दिन में सहमत हो गये. 48 घंटे बीतते बीतते मुख्य सचिव का प्रेस में बयान आ गया,ये सारे मामले. फास्ट ट्रॅक कोर्ट में जाएँगे
यद्यपि आमिर द्वारा अपने कार्यक्रम में उठाए गए सभी बिंदु भ्रूणहत्या के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन इसमें एक बड़ी वजह हमारे यहां प्रचलित दहेज जैसी कुप्रथा और हमारी रूढ़िवादी सोच भी है। आज इंसान पर व्यावसायिक वृत्ति हावी है। वह हर चीज में फायदा-घाटा देखता है और रिश्तों को भी इसी घाटे-फायदे के तराजू में तौलता है। जो जितना अमीर है, वह दहेज को उतना अधिक बढ़ावा देता है और फिर गरीब आदमी द्वारा उसकी नकल करना, इस बुराई की जड़ को और मजबूत करता जाता है। आज लोग आमिर जैसे मशहूर और सफल लोगों को आदर्श मानते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि बेटियों को बचाने का आमिर का यह प्रयास सकारात्मक परिवर्तन ला पाएगा। आमिर ने तथ्यों-घटनाओं के माध्यम से यह प्रमाणित करने का भी सराहनीय प्रयास किया कि जितनी भ्रूणहत्याएं महानगरों और शहरों में होती हैं, उतनी गांवों में नहीं। अधिकांश गांवों में तो इलाज के लिए डॉक्टर ही नहीं मिलते, फिर भ्रूणहत्या कैसे होगी? यह अलग बात है कि बेटियों के प्रति भेदभाव में ग्रामीण मानसिकता भी अलहदा नहीं है। यह भी सचाई है कि आज जो जितना पढ़ा-लिखा है, उतना ही पाखंडी है। जैसे आज का तथाकथिक जागरूक व्यक्ति ही बेटी की गर्भ में हत्या करवा रहा है। किसी काम की शुरुआत अच्छी तरह की जाए तो सफलता तय होती है। कन्या भ्रूणहत्या जैसी समस्या पर आमिर खान ने ऐसी ही गंभीर पहल की है और तमाम शुभेच्छु जुटा लिए हैं। हमारे समाज में आज भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो बेटियों को बोझ समझते है
Muzaffar Bharti
Cell:no 8764355800
muzaffarbharti@gmail.com
यद्यपि आमिर द्वारा अपने कार्यक्रम में उठाए गए सभी बिंदु भ्रूणहत्या के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन इसमें एक बड़ी वजह हमारे यहां प्रचलित दहेज जैसी कुप्रथा और हमारी रूढ़िवादी सोच भी है। आज इंसान पर व्यावसायिक वृत्ति हावी है। वह हर चीज में फायदा-घाटा देखता है और रिश्तों को भी इसी घाटे-फायदे के तराजू में तौलता है। जो जितना अमीर है, वह दहेज को उतना अधिक बढ़ावा देता है और फिर गरीब आदमी द्वारा उसकी नकल करना, इस बुराई की जड़ को और मजबूत करता जाता है। आज लोग आमिर जैसे मशहूर और सफल लोगों को आदर्श मानते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि बेटियों को बचाने का आमिर का यह प्रयास सकारात्मक परिवर्तन ला पाएगा। आमिर ने तथ्यों-घटनाओं के माध्यम से यह प्रमाणित करने का भी सराहनीय प्रयास किया कि जितनी भ्रूणहत्याएं महानगरों और शहरों में होती हैं, उतनी गांवों में नहीं। अधिकांश गांवों में तो इलाज के लिए डॉक्टर ही नहीं मिलते, फिर भ्रूणहत्या कैसे होगी? यह अलग बात है कि बेटियों के प्रति भेदभाव में ग्रामीण मानसिकता भी अलहदा नहीं है। यह भी सचाई है कि आज जो जितना पढ़ा-लिखा है, उतना ही पाखंडी है। जैसे आज का तथाकथिक जागरूक व्यक्ति ही बेटी की गर्भ में हत्या करवा रहा है। किसी काम की शुरुआत अच्छी तरह की जाए तो सफलता तय होती है। कन्या भ्रूणहत्या जैसी समस्या पर आमिर खान ने ऐसी ही गंभीर पहल की है और तमाम शुभेच्छु जुटा लिए हैं। हमारे समाज में आज भी ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो बेटियों को बोझ समझते है
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