खबर है कि योजना आयोग ने घोषित किया है कि अगले वर्ष चाय को राष्ट्रीय पेय घोषित कर दिया जायगा। इस घोषणा से उन लोगों को थोड़ा आश्चर्य हुआ होगा, जो अभी तक देखते आए हैं कि अधिकांश योजनाओं को आयोग से तब तक आसानी से हरी झंडी नहीं मिलती है, जब तक कि उसमें राज परिवार का नाम न हो। राष्ट्रीय झंडा-तिरंगा, राष्ट्रीय गान-जन गण मन, राष्ट्रीय गीत-वंदेमातरम, राष्ट्रीय फल-आम, राष्ट्रीय पेड़-बरगद की एक लम्बी सूची में अब राष्ट्रीय पेय चाय का नाम जुडऩे जा रहा है।
वैसे चाय का हमारे दैनिक जीवन में बड़ा महत्व है। कई भाग्यशालियों की दिनचर्या चाय से ही प्रारम्भ होती है। किसी भी सरकारी दफ्तर में अकसर किसी को कोई काम निकलवाना हो तो वह शुरुआत चाय से ही करता है। गर्मियों में राजस्थान इत्यादि कुछ प्रान्तों के कई कस्बों शहरों में छोटे छोटे होटल रेस्टोरेंट इत्यादि में इस तरह के इश्तहार लगा दिए जाते हैं, जिसमें लिखा होता है 2 कप चाय के साथ एक गिलास पानी फ्री। इससे आपको राजस्थान में पानी एवं चाय दोनों की महत्वता का पता लगता है।
ऐसे ही किसी किसी रेस्टोरेंट में कभी कभी दिलचस्प घटनाएं हो जाया करती हैं। एक रेस्टोरेंट में कुछ नौजवान मित्र चाय पीने के लिए मेज के इर्द गिर्द बैठे थे। उन्होंने बैरे को चाय का आर्डर दिया परन्तु यह नहीं बताया कि कितनी चाय लानी है। खैर, वह बेचारा अपने अंदाज से पांच कप चाय ले आया और मेज पर रख कर पूछा:-यह चाय काफी है? लड़कों ने उससे मजाक करते हुए कहा:-यह चाय है या काफी? अगर चाय है तो काफी ले आओ और काफी है तो चाय ले आओ!
जगह जगह की चाय की अपनी महत्वता है। मसलन मेडीकल कालेज के बाहर चाय की थड़ी के मुड्डा क्लब की चाय, झमट मल उर्फ झम्मू के होटल की चाय, रेलवे प्लेटफार्म की तथाकथित पेशल चाय, ट्रेन के डिब्बे में चाय के नाम पर उबले पानी वाली चाय, इलाइची वाली चाय, गुजराती कट, हरबल टी इत्यादि सब तरह की चाय सर्वत्र मिलती है।
चाय की खासियत को ही देखते हुए कभी अजमेर के मशहूर शायर बब्बन कव्वाल ने निम्नलिखित शेर कहा था:-
राम राज में
दूध मिला था,
कृष्ण राज में घी,
इस राज में,
चाय मिली है,
फूंक फूंक कर पी!
चाय की इसी महत्वता को देखते हुए अब इसे राष्ट्रीय पेय घोषित किया जाने वाला है। यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन जैसे राष्ट्र पिता, राष्ट्र गीत, राष्ट्र भाषा, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय मुद्रा को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है, कहीं ऐसा ना हो कि चाय की भी अवहेलना हो जाए।
-ई. शिव शंकर गोयल
1201, आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12,
सैक्टर न.10, द्वारका, दिल्ली- 75
मो.9873706333
वैसे चाय का हमारे दैनिक जीवन में बड़ा महत्व है। कई भाग्यशालियों की दिनचर्या चाय से ही प्रारम्भ होती है। किसी भी सरकारी दफ्तर में अकसर किसी को कोई काम निकलवाना हो तो वह शुरुआत चाय से ही करता है। गर्मियों में राजस्थान इत्यादि कुछ प्रान्तों के कई कस्बों शहरों में छोटे छोटे होटल रेस्टोरेंट इत्यादि में इस तरह के इश्तहार लगा दिए जाते हैं, जिसमें लिखा होता है 2 कप चाय के साथ एक गिलास पानी फ्री। इससे आपको राजस्थान में पानी एवं चाय दोनों की महत्वता का पता लगता है।
ऐसे ही किसी किसी रेस्टोरेंट में कभी कभी दिलचस्प घटनाएं हो जाया करती हैं। एक रेस्टोरेंट में कुछ नौजवान मित्र चाय पीने के लिए मेज के इर्द गिर्द बैठे थे। उन्होंने बैरे को चाय का आर्डर दिया परन्तु यह नहीं बताया कि कितनी चाय लानी है। खैर, वह बेचारा अपने अंदाज से पांच कप चाय ले आया और मेज पर रख कर पूछा:-यह चाय काफी है? लड़कों ने उससे मजाक करते हुए कहा:-यह चाय है या काफी? अगर चाय है तो काफी ले आओ और काफी है तो चाय ले आओ!
जगह जगह की चाय की अपनी महत्वता है। मसलन मेडीकल कालेज के बाहर चाय की थड़ी के मुड्डा क्लब की चाय, झमट मल उर्फ झम्मू के होटल की चाय, रेलवे प्लेटफार्म की तथाकथित पेशल चाय, ट्रेन के डिब्बे में चाय के नाम पर उबले पानी वाली चाय, इलाइची वाली चाय, गुजराती कट, हरबल टी इत्यादि सब तरह की चाय सर्वत्र मिलती है।
चाय की खासियत को ही देखते हुए कभी अजमेर के मशहूर शायर बब्बन कव्वाल ने निम्नलिखित शेर कहा था:-
राम राज में
दूध मिला था,
कृष्ण राज में घी,
इस राज में,
चाय मिली है,
फूंक फूंक कर पी!
चाय की इसी महत्वता को देखते हुए अब इसे राष्ट्रीय पेय घोषित किया जाने वाला है। यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन जैसे राष्ट्र पिता, राष्ट्र गीत, राष्ट्र भाषा, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय मुद्रा को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है, कहीं ऐसा ना हो कि चाय की भी अवहेलना हो जाए।
-ई. शिव शंकर गोयल
1201, आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12,
सैक्टर न.10, द्वारका, दिल्ली- 75
मो.9873706333
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