गुरुवार, 5 जनवरी 2012
चाचा! मुझे इतने पसीनें क्यों आ रहे है?
क्या है कि मेरे एक जानकार को एक बिमारी लग गई है हर बार चुनाव
का बिगुल बजते ही उनका मर्ज षुरू हो जाता है और चुनाव के बाद तक जारी
रहता हैं. कई इलाज करा लिए, कई जगह झाड फूॅक कराली, कइयों ने कहा कि
घाटी वाले भैंरूजी के पुजारी सिद्ध महात्मा है उन्हें वहॅा ले गए. किसी ने कहा
कि ‘पीर बाबा के फकीर’ के पास से आजतक कोई नामुराद लौट कर नही
आया, हम वहॅा भी गए, कई कई गन्डें, ताबीज, क्या बाजू में, क्या गलें में बान्ध
कर देख लिए. चौराहंे पर भी खास किस्म की सामग्री रखकर ‘टोटेटका’ कर
लिया परन्तु कुछ फायदा नही हुआ. पहलें वह सपनें में मंदिर-मस्जिद बहुत
चिल्लाते थे लेकिन अब कुर्सी-कुर्सी बडबडाते हैं. हमनें जागने पर उनके सामने
लकडी, लोहंे, प्लास्टिक इत्यादि की कई कुर्सिया’ ला लाकर रखी लेकिन वह उन्हें
फेंक देते है और कहते है कि आपने क्या मुझे पागल समझ रखा है ? अब
आपही बतायें यह हकीकत हम उनको कैसे बतायें ?़ नही बता सकते ना ?
हमनें उन्हें एक हकीमजी को दिखाया. उनका दावा था कि वें एक
खानदानी हकीम हैं. देषकी राजधानी के बीचोबीच गली गजमलखां में उनका
षफाखाना है. कई अखबारों एवॅ पत्रिकाओं में आये दिन उनके विज्ञापन छपते
रहते है ‘षादी से पहले अथवा षादी के बाद’ की तर्ज पर इनके पास कई रोगांे
का षर्तिया ईलाज है इसलिए हिम्मत करके हम अपने इस जानकार को वहॉ ले
गये तथा हकीम जी को इनका सारा वाकया बताया कि इनको ‘चुनुनाव से पहले
तथा चुनुनाव के बाद’ वाले कुर्सी के सपने आते है और यह कुर्सी-कुर्सी बडबडाते
हैं. कभी कभी सत्ता-सत्ता भी चिल्लाते हैं. हकीम जी ने नब्ज देख कर कहा कि
घबराने की कोई बात नही हैं. मर्ज पुराना जरुर है, सन्निपात है, लेकिन लाइलाज
नही है मैंने ऐसे सैकडांे रोगी ठीक किए है हकीम लुकमान का वषॅज हूॅ. अल्लाह
ने चाहा तो सब ठीक हो जायेगा, हमने हकीम जी द्वारा बताई हुई कई युनानी
दवाएॅ उन्हें पिलाई, सिर में बादाम रोगनजोष की मालिष की, लेकिन अफसोस !
उनका मर्ज ठीक नही होना था सो नही हुआफिर
हम उन्हें बंगाली बाबा उस्ताद कालू खॉ वल्द लालू खॉ के यहॉ ले
गए. उनका ठिकाना सराय कालेखां में कूंचा बहरामखां गली में हेैं. वह कालें एवं
सिफली ईल्म के उस्ताद है तथा अपने फन के माहिर है उनका दावा है कि ‘हम
सिर्फ कहते नही करके दिखाते है 24 घन्टे में 100 प्र्िरतिषत गारन्टी के साथ ळाभ
देतेते है’ उनके कहें अनुसार हम कुछ नीबूॅ, थोडी इलाइची एवं दो अगरबत्ती के
पैकिट भी ले गए, ठीक वैसे ही जैसे थानें में एफआईआर, लिखाने के लिए जाते
वक्त स्टेष्नरी लेजानी पडती हैं. हमनें बंगालीबाबा के कहें अनुसार सब कुछ
किया, पैसों से भी लुटे लेकिन हमारें उस जानकारका मर्ज ठीक नही हुआ उल्टा
ज्यांे-ज्यों चुनाव नजदीक आते जारहे है वह बढता ही जा रहा हैंतॉत्रि
क बाबा के यहॉ ही लुटे हुए एॅव धक्के खा रहे एक सज्जन से
पता लगा कि कालभैरव ज्योतिष केन्द्र पर इन्हें ले जाइये वहॉ आपका षर्तिया
इलाज हो जायेगा, वहॅा के ज्योतिषाचार्यजी का दावा है कि पहले सब को जानिए
फिर मुझे मानिए’, वह पॅडितजी विष्वविख्यात तन्त्राचार्य एॅव भविष्यवेत्ता हैं, माने
हुए बाममार्गी हैं. हम तॉत्रिक बाबा से निराष होकर उन्हंे वहॅा ले गए और
आगामी चुनावांे के सन्दर्भ एॅव कुर्सी रोग के बारे में बताया, उन्होंने काफी देर घुमा
फिरा कर बातकी एॅव अपनी फीस चढावा इत्यादि लेने के बाद कहा कि इन पर
षनि की कुदृष्टि हैे तथा षनिकाढैया चल रहा हैं. अगर इन्हें कुर्सी पानी है तो
षनि देवता को राजी करना पडेगा जिसके लिए दो टिन तेल, बीस किलों काली
उडद, तीस किलांे साबित मॅूग, दो भेली गुड, तथा पचास हजार रू देने पडेंगे,
मरता क्या न करता ? हमने वह भी किया, तब तॉत्रिक बाबा ने कुछ दिनों बाद
रहस्योदघाटन किया कि अब इनके ग्रह अच्छे हो गए है अगर यह जातिवाद,
आरक्षण का राग आलापे और दूसरों के दल से निकाले हुए भ्रष्टों को अपने दल
में षामिल करलें तो कुर्सी पा जायंेगे फिर इनका रोग भी ठीक हो जायेगासमस्य
ा का समाधान न होते देखकर एवं विभिन्न समाचार पत्र,
प़ित्रकाओं से सूचना पाकर हम उन्हें एक स्वयॅसिद्व-स्वयॅघोषित-देवी
करूणामयी-ममतामयी मॉ-के पास भी ले गये, वह मॉ बहुत चमत्कारी बताते हैंउनका
आश्रम भी बहुत विषाल है, जहॉ वह साल में कुछ दिन अपने
एयरकन्डीषन अपार्टमेन्ट में रहने के लिए आती है, फिर कभी वह अपने चेलांे के
साथ हरिद्वार, केदारनाथ, कभी दक्षिण की यात्रा पर अथवा विदेषों की सैर पर
निकल जाती हैं. वहां कई एनआरआई उनके चेलें हैं. हमनें किसी तरह उनसे
समय लेकर उन्हें भी दिखाया, उन्होंने पहले तो हमें षरीर-षरीरी, आत्मा-
परमात्मा, प्रकृति-जड-चेतन तथा द्वैतवाद-अद्वैतवाद इत्यादि पर एक लम्बा-चौडा
लैक्चर दिया. वैराग्य के महत्व पर प्रकाष डाला एॅव सारी दुनियॉ को क्षणभॅगुर-एक
क्षण में नष्ट होनेने वाली-बताया फिर कहा कि अच्छा मैं देखती हूॅ कि इनके लिए
क्या किया जा सकता है ? षायद कुछ अनुष्ठान करना पडेगा, नतीजा यह हुआकि
घबराकर हमें वहॉ से भी बैरॅग लौटना पडाकिसी
ने हमें बताया कि आप सब छोडकर इन्हें कालेघोडें की नाल की
अगॅूठी पहनाओ, किसी ने सुझाया कि इन्हें बिहार के गया षहर से खूनी नीलम
की अगूॅठी मगॅवा कर, उसे डेयरी के ‘षुद्ध’ दूध में पवित्र करके बायंे हाथ की
अनामिका में पहनाओ, किसी ने ‘पहाडीबाबा’ के पास जाकर आषीर्वाद लेने के
लिए भी कहा नतीजा यह हुआ कि असमंजस में हम उनकों घर ले आए.
अब वह पांच राज्यों का चुनावी बिगुल बजते ही फिर तरह तरह के
रथांे की मॉग करने लगे है कि मेरे लिए फंला फंला रथ लाओ मैं उस पर सवार
होकर चुनाव रूपी युद्व में उतरूगॅा. अलग अलग नामों की यात्राएॅ करुॅगा. गरीबी
क्या होती है यह देखने किसी गरीब की झोपडी में जाउंगा, भलेही पांच सितारा
होटल से खाना मंगवाउ पर खाउंगा उसी झोपडी में और हो सका तो एक रात भी
वही गुजारूंगा, आखिर गरीबों एवं भिखारियों के बारें में मुझसे ज्यादा ओैर कौन
जानता हैं ? बतानेवालें तो यहां तक बता रहे है कि उन्होंने कहा है कि मजहब
विषेष बाहुल्य इलाकें में जाउंगा तो उसके पहले अपनी दाढी बढा लूंगा, स्थानीय
लोगों की वेषभूषा पहनूंगा, यहां तककि उन्होंने अपने भाषण लिखकर देने वालें को
भी कह दिया है कि उन लोगों की बोली में ही मेरा भाषण लिखकर दे, वही
पढूंगा जानकारों
का विष्वास है कि इससे मर्ज ठीक होने में कुछ मदद मिल
सकती हैं. इससे ‘सर्दी में में भी गर्मी का अहसास’ तो हो जायेगा लेकिन पसीनें नही
आयेंगे
-ई. शिव शंकर गोयल,
फ्लैट न. 1201, आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12, सैक्टर न.10, द्वारका, दिल्ली- 75.
मो. 98737063339
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें