पाकिस्तानी हिंदुओं का एक बड़ा जत्था भारत में शरण की उम्मीद लिए जोधपुर पहुंचा है. इसमें लगभग 170 लोग शामिल हैं.
ये सभी पाकिस्तानी के दक्षिणी प्रांत सिंध से आए हैं और आदिवासी भील समुदाय से है. इस दल के एक सदस्य ने बीबीसी से कहा, “चाहे जान लेलो, मगर वापस जाने के लिए न कहो.”
इन हिंदुओं के लिए आवाज उठा रहे सीमान्त लोक संगठन ने भारत से इन हिंदुओं को फौरन शरणार्थी का दर्जा देने की मांग की है.
ये हिंदू ऐसे समय में भारत पहुंचे है जब भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्ण पाकिस्तान के दौरे पर हैं और पाकिस्तान इन खबरों को गलत बताता रहा है कि उसके यहां से हिंदू पलायन कर भारत में पनाह ले रहे हैं.
'ऐसे मुल्क में कैसे रहें'
ये सभी हिंदू उस थार एक्सप्रेस से आए हैं जो हर हफ्ते भारत और पाकिस्तान के बीच चलती है.
जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उस वक्त भावुक मंजर था, जब इन हिंदुओं की अगवानी करने उनके चंद रिश्तेदार और संगठन के कार्यकर्ता मौजूद थे.
इनमें से कुछ ने संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा से अपना दर्द साझा किया तो आंखें नम हो गईं.
इस दल में तीस से ज्यादा महिलाएं और अस्सी से ज्यादा बच्चे है. ये सभी धार्मिक यात्रा के वीसा पर आए हैं.
दल के प्रुमख गणेश (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से फोन पर कहा, “वहां जीवन बड़ा दुश्वार था. अभी चंद दिन पहले मेरे पिता का निधन हुआ तो दाह संस्कार के लिए दो गज जमीन भी ना मिली. हम पार्थिव शरीर लिए यहां वहां भटकते रहे मगर हर जगह कहा गया इसके लिए जगह नहीं है. फिर बताएं ऐसे मुल्क में कैसे रह सकते है.
गणेश ने कहा उनकी बहन-बेटियां बाहर नही निकल सकती थी. कदम कदम पर पक्षपात था. इसलिए उनके पास भारत आने के आलावा कोई चारा नहीं बचा था.
ये सभी पाकिस्तानी के दक्षिणी प्रांत सिंध से आए हैं और आदिवासी भील समुदाय से है. इस दल के एक सदस्य ने बीबीसी से कहा, “चाहे जान लेलो, मगर वापस जाने के लिए न कहो.”
इन हिंदुओं के लिए आवाज उठा रहे सीमान्त लोक संगठन ने भारत से इन हिंदुओं को फौरन शरणार्थी का दर्जा देने की मांग की है.
ये हिंदू ऐसे समय में भारत पहुंचे है जब भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्ण पाकिस्तान के दौरे पर हैं और पाकिस्तान इन खबरों को गलत बताता रहा है कि उसके यहां से हिंदू पलायन कर भारत में पनाह ले रहे हैं.
'ऐसे मुल्क में कैसे रहें'
ये सभी हिंदू उस थार एक्सप्रेस से आए हैं जो हर हफ्ते भारत और पाकिस्तान के बीच चलती है.
जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उस वक्त भावुक मंजर था, जब इन हिंदुओं की अगवानी करने उनके चंद रिश्तेदार और संगठन के कार्यकर्ता मौजूद थे.
इनमें से कुछ ने संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा से अपना दर्द साझा किया तो आंखें नम हो गईं.
इस दल में तीस से ज्यादा महिलाएं और अस्सी से ज्यादा बच्चे है. ये सभी धार्मिक यात्रा के वीसा पर आए हैं.
दल के प्रुमख गणेश (बदला हुआ नाम) ने बीबीसी से फोन पर कहा, “वहां जीवन बड़ा दुश्वार था. अभी चंद दिन पहले मेरे पिता का निधन हुआ तो दाह संस्कार के लिए दो गज जमीन भी ना मिली. हम पार्थिव शरीर लिए यहां वहां भटकते रहे मगर हर जगह कहा गया इसके लिए जगह नहीं है. फिर बताएं ऐसे मुल्क में कैसे रह सकते है.
गणेश ने कहा उनकी बहन-बेटियां बाहर नही निकल सकती थी. कदम कदम पर पक्षपात था. इसलिए उनके पास भारत आने के आलावा कोई चारा नहीं बचा था.
भविष्य की चिंता
वो कहते हैं, “हम सिर्फ ये कपड़ने पहन कर आए हैं. हमारे पास कुछ भी नहीं है. हम ये भी नहीं जानते कल कैसे पेट भरेंगे.”
इन हिन्दुओं का प्रतिनिधिव कर रहे हिंदू सिंह सोढा कहते है कि राजस्थान में लगभग सात हजार ऐसे पाकिस्तानी हिंदू है जो भारत की नागरिकता के लिए गुहार लगा रहे है.
उनके मुताबिक, “हम इनके लिए नागरिकता के अभियान चला रहे है. जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे. पर अभी हम चाहते है भारत इन हिंदू अल्पसंख्यकों को शरणार्थी का दर्जा दे.”
भारत ने पिछली बार 2005 में तेरह हजार पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी थी. लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन जारी है. इनमें से हर चेहरे पर अतीत की बीती घटनाओ का दर्द है तो भविष्य के लिए चिंता की रेखाएं भी दिखती हैं.
वो कहते हैं, “हम सिर्फ ये कपड़ने पहन कर आए हैं. हमारे पास कुछ भी नहीं है. हम ये भी नहीं जानते कल कैसे पेट भरेंगे.”
इन हिन्दुओं का प्रतिनिधिव कर रहे हिंदू सिंह सोढा कहते है कि राजस्थान में लगभग सात हजार ऐसे पाकिस्तानी हिंदू है जो भारत की नागरिकता के लिए गुहार लगा रहे है.
उनके मुताबिक, “हम इनके लिए नागरिकता के अभियान चला रहे है. जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे. पर अभी हम चाहते है भारत इन हिंदू अल्पसंख्यकों को शरणार्थी का दर्जा दे.”
भारत ने पिछली बार 2005 में तेरह हजार पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी थी. लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन जारी है. इनमें से हर चेहरे पर अतीत की बीती घटनाओ का दर्द है तो भविष्य के लिए चिंता की रेखाएं भी दिखती हैं.
-नारायण बारेठ