शनिवार, 27 अगस्त 2011

सपनों में संसद

एक दिन हम भी ससंद में जा पहुचे सपनों में

चारो और देख कर बैठ गये हम अपनों में

पास में बेठी महिला सांसद

और आँखों में भरा था पानी

क्या हालत बना रखी हे मैडम

इसके पीछे क्या हे कहानी

क्या बात बताऊ कवी राज

सोने की हो गयी रेत

अब पछताए क्या होत हे

चिडिया चुग गयी खेत

भला हो ऐ राजा का

जिसने बड़ा सा भ्रष्टाचार किया

भला हो कलमाड़ी का

जिसने भाजपा में शक्ति संचार किया

हमने भी सोचा था इस मुदे पर

सता का सुख पा लेंगे

राजा और कलमाड़ी जैसे

हम भी गंगा नाह लेंगे

भ्रष्टाचार मिटने का भाषण

लिख लिख कर भर दिया पन्ना

न जाने कहा से आया दुश्मन

मेरा मुदा ले गया अन्ना

सारे सपने धेरे रह गए

कर गया हमको कंगाल

ये कैसे हुवा पूछा हमने काग्रेस से

तो बोले ये अमेरिका की चाल

ये अन्ना कांगेस का कम

और हमारा दुश्मन ज्यादा हे

साथ रहेंगे समर्थन नहीं देंगे

ये काग्रेस से वादा हे

मैंने कहा मैडम काग्रेस और भाजपा

भ्रष्टाचार मिटने की बाते तो कर रहे हे

तो फिर अन्ना और

इस लोकपाल से क्यों डर रहे हे

हम नेताओ की कथनी और करनी में होता हे फरक

भ्रष्टाचार नहीं होगा तो राजनीती हो जायेगी नरक

एसे में कोन मुरख हे जो राजनीती में आयेगे

अन्ना तो हे भूक का आदि नेता यहाँ क्या खायेगे

फिर संसद में नही होंगे नेता

ना होंगे चका चक वोट

उस वक्त तुम्हे हम याद आयगे

याद आएगा मेरा नोट



महेंद्र सिंह भेरुंदा

मो-9983052802

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