सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

मच्छर सभा

यों तो मच्छरों की मीटिंग के लिए षहर में, एक से बढ कर एक स्थान थे
लेकिन आज की मीटिंग के लिए जो स्थान चुना गया था उसकी तारीफ सभी
मच्छर कर रहे थे. आज की यह अति महत्वपूर्ण मीटिंग नगर परिषद के उस
नाले में रखी गई थी जहां दिन-रात घोर अंधेरा छाया रहता था तथा जहां आज
तक डीडीटी छिडकनेवाला तो क्या कोई सफाई करने वाला भी नही पहुंचा थाबडी
गहमा-गहमी थी और दूर दूर से मच्छर इस पंचायत में हिस्सा लेने आए
हुए थे.
मंच पर चौधरी मच्छरसिंह विराजमान थे और उनके कई चेलें व्यवस्था में
इधर उधर घूम रहे थे. कई कई कमांडों उनकी सुरक्षा के लिए तैनात थे. सब से
पहले चौधरी मच्छरसिंह को मैसूर के जंगलों के फूलों की बनी माला पहनाई गईमीटिंग
के षुरू में सभा के संयोजक मच्छरप्रषाद ने कहा कि आज की बैठक
काफी महत्वपूर्ण है. यह मच्छरों की ही हिम्मत है कि वह आगे बढ कर आदमी
से टक्क्र लेता है. आज देष में यही विषय महत्वपूर्ण रह गए है, मच्छर, आतंक
और घोटालें. आप किसी भी सभा-सोसाइटी में चले जाइए अथवा कही भी
दो-चार व्यक्ति बैठे होंगे तो सबसे पहले इन्ही विषयों पर चर्चा होगी. इससे यह
सिद्ध होता है कि आज हमारी जाति की अहमियत बहुत बढ गई है. अब
सरकार को हमें विषेष दर्जा देना पडेगा और इसीलिए आज हमने यह मीटिंग
बुलाई है. अब मैं मच्छरनाथ से प्रार्थना करूंगा कि इस विषय में अपने विचार
पंचायत के सम्मुख रखेंइसके
बाद मच्छरनाथ माइक के पास आ खडे हुए और बोले, ‘ भाइयों !
हमारी जाति की विषेषता है कि जहां देष में आज अधिकांष कर्मचारी काम से
जी चुराते है, हम लोग दिन-रात काम करते है. यहां तक कि मार्च-अप्रैल तथा
अक्टूबर-नवम्बर में तो हम डबल डयूटी करते है, ओवर टाइम काम करते है,
परन्तु क्या मजाल जो कभी उफ भी की हो. हमने कभी किसी वेतन आयोग को
लागू करने की अथवा डीए बढाने की मांग नही की. यह संदेष हम आज की
मीटिंग के जरिए देष और दुनियां को देना चाहते है’ इतना कह कर मच्छरनाथ
ने अपना स्थान ग्रहण कियाअब
बारी आई मच्छरकिषोर की, उन्होनें अपनी सधी हुई आवाज में
अपने काम काज की जानकारी देते हुए बताया कि हम बोरिंग, छेद, करने से
पहले सर्वे करते है फिर वहां जाकर ड्लििंग यानि बोरिंग करते हेैं. अभी कल की
ही बात है मैंने एक आदमी की खोपडी में बोर किया. वह अक्सर खेलों में
हूटिंग किया करता है. उस समय भी वह एक मैच में हूटिंग कर के ही लौटा
था. उसकी खोपडी में छेद करते ही मुझे वहां गोबर ही गोबर नजर आया. मैंने
झट से अपनी मैडम को आवाज लगाई ‘अरी भागवान ! देख फिर मत कहना
कि गोबर नही देखा क्योंकि उससे पहले मेरी मैडम ने गोबर नही देखा था सिर्फ
सुना ही सुना था’. मच्छरकिषोर ने यह कह कर अपनी बात समाप्त की कि
‘आदमियों का यह हाल है ओैर मच्छरों को हीन समझते हैं’.
इसके बाद मच्छरराम ने मीटिंग में बताया कि ‘मेरी बोरिंग तो बिलकुल
फालतू गई. मैं एक व्यक्ति की खोपडी में ड्लि करता गया, करता गया, यहां
तककी खतरे के निषान तक पहुंच गया लेकिन खुदाई में सडा हुआ बुरादा
निकला. वो तो बाद में पता चला कि यह तो किसी अफसर की खोपडी थी’.
इस बात पर खूब तालियां बजीअब
बारी आई मच्छरदास की, मच्छरदास ने बताया ‘सबसे बुरी चोट तो
मेरे साथ हुई. मेरा ठिकाना एक नेताजी के ड्ाइंगरूम की कुर्सी के पाएं की दरारें
हैं. मैं कल जब वहां से निकल कर बाहर आया तो नेताजी आराम कुर्सी पर
सुस्ता रहे थे. उन्हें सुस्ताते देख मैंने उनकी खोपडी में बोरिंग कर डाली. पर
हाय ! हाय ! यह क्या हुआ ? ससुरा हैमर, बोरिंग करने वाला औजार, सांय
सांय करता हुआ अंदर तक घुसता चला गया. म्ंौं यह सब देख वहां से भाग
निकला, दोस्तों ! आपको इसलिए बता रहा हूं कि सनद रहे, वास्तव में उस
खोपडी में भेजा था ही नहीमच्छरदास
के बाद मच्छरमल की बारी थी. उसने विषय को संवारते हुए
कहा इन नेताओं को हमने बहुत सहा है. अभी तक तो खटमल ही खून चूसने
में हमारे प्रतिद्वंद्वी थे. अब नेता भी इस काम में हमारा मुकाबला करने लगे है
अतः हमें ष्वेत पत्र निकाल कर इनका विरोध करना चाहिए’.
अंत में चौधरी मच्छर सिंह ने मीटिंग में पास किए जाने वाले प्रस्ताव पेष
किए जिनमें निम्नलिखित बातें षामिल थी:-
1 नेताओं को विरोध पत्र भेजा जाय कि खून चूसना तो हमारा जंम सिद्ध
अधिकार है आप लोग इसमें दखल क्यों दे रहे है ? खटमलों पर भी रोक
लगनी चाहिए.
2 डीडीटी का असर नही होने से मलेरिया विभाग का अहसान मानते हुए उन्हें
धन्यवाद भेजा जाय.
3 मच्छरों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधीमंडल जाकर नगर परिषद अथवा निगम
को धन्यवाद ज्ञापन देगा कि आपकी मेहरबानी से हमारा वंष खूब फल फूल रहा
है, आपको कोटि कोटि धन्यवादउपरोक्त
सभी प्रस्ताव सर्व सम्मति से पास करके सभा विसर्जित की गई
-ई. शिव शंकर गोयल,
फ्लैट न. 1201, आई आई टी इंजीनियर्स सोसायटी,
प्लाट न. 12, सैक्टर न.10, द्वारका, दिल्ली- 75.
मो. 9873706333

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