सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

जमूरे के नुस्खें

षहर के भीड भरे इलाकें में पुरानी मंडी की तरफ जो सडक जाती है
उसी चौराहे पर पानी की प्याउ के सामने मजमा लगा हुआ था. भीड ने एक
अर्द्ध गोलाकार घेरा सा बना लिया था. घेरे के बीच में खाली जगह पर एक
12-14 वर्ष का लडका लेटा हुआ था, जिसे एक मैली कुचैली चाद्धर से ढका
हुआ था.
भीड में, बच्चों से लेकर बूढों तक, तरह तरह के लोग थे. थोडी देर बाद
मजमा लगानेवाले ने अपनी विषिष्ट षैली ओैर आवाज में बोलना षुरू किया.
‘मेहरबान, कद्रदान, मुझसे न आपकी जान न पहचान, फिर भी इस पापी पेट
की खातिर आपके मुलक में आपकी खिदमत में पेष हुआ हंू’
कुछ क्षण ठहरकर उसने अपने दाहिने हाथ को मटका कर पांचों अंगुलियों
को सोये हुए लडके की तरफ करते हुए जोर जोर से मंत्र बोला ‘काली
कलकत्तेवाली, तेरा वचन न जाये खाली’ जिसे भीड में उपस्थित सभी लोगों ने
सुना. फिर वह बोला ‘अरे ! जमूरे... बतायेगा ?
चादर ओढकर लेटे हुए जमूरे ने जवाब दिया ...‘बताउंगा’
‘तू कौन ?’
...‘सैमुअल’
‘मैं कौन ?’
...‘पेैड्ो’
‘बतायेगा ?’
‘हां बताउंगा’
तब उस्ताद बने पैड्ो ने लडके से पूछा,
‘बता अफीम का नषा कैसे कम होता हैं ?’
जमूरे ने अपनी पूरी ताकत लगाकर बोलते हुए कहा
‘अरहर के पत्तों का अर्क पिलाने से अफीम का नषा कम हो जाता हेै’
‘और सत्ता का नषा कैसे कम होगा ?’
‘चुनाव के समय सबक सिखाने से तो होता ही हेै कभी कभी तिहाड की
हवा खाने से भी नषा काफूर हो जाता हैं. जमूरा बोलाइस
बात पर भीड ने ठहाका लगाया और छोटे छोटे बच्चें, जो
आगे की तरफ बैठे थे, तालियां बजाने लगे. कुछ बच्चें, जो पास की ही
सरकारी स्कूल की उसी समय छुटटी होने पर जुट गए थे अपने अपने
बस्तों को बजाने लगे. मजमेवालें ने अपनी उॅची आवाज में जोर से बोलते
हुए फिर कहा, ‘साहेबान जमूरा सबका हाल बतायेगा क्योंकि पापी पेट का
सवाल है लेकिन आप लोग सब अपनी अपनी जेब पॉकेट से सावधान
रहें’
उसके इतना कहते ही अधिकांष लोग अपनी अपनी जेबें संभालने
लगे और उधर भीड में खडे जेबकतरों की नजरें खुषी से चमकने लगी.
‘हां तो जमूरे बतायेगा ?’ मजमेवालें ने फिर पूछा.
...‘बतायेगा ओैर जरूर बतायेगा’ जमूरा बोला.
‘ अच्छा बता कोई भाई केलें ज्यादा खा जाए तो ?’
...‘छोटी इलाइची खाएं, सब हजम हो जायेगा.
‘ओैर ज्यादा रिष्वत खाले तो ?’
...‘जेल की हवा खाए सब बराबर हो जायेगा’
मदारी ने फिर पूछा
‘किसी सज्जन ने आम ज्यादा खा लिए हो तो क्या करें ?
...‘आम ज्यादा खा लिए हो तो दो-चार जामुन खा ले या जामुन
ज्यादा खा लिए हो तो आम खालें ’
‘अगर सत्ता ज्यादा भोग ली हो तो ?’
...‘सत्ता ज्यादा भोग ली हो तो विरोध और विरोध ज्यादा भोग
लिया हो तो कोईसा भी रथ लेकर निकल जाय ठीक हो जायेगा.’
भीड की कानाफूसी जब ज्यादा बढने लगी तो मदारी ने अपनी
हथेलियां पीटते हुए जोर से आवाज की और हाथ जोडकर लोगों से कहा
‘ भाई साहब ! अपनी घर गृहस्थी की बातें यहां न करें इसके लिए
आपकी घरवाली घर पर आपका इंतजार कर रही हैं. फिर जमूरे की
तरफ मुखातिब हो कर बोला:-
‘ अरे ! जमूरे किसी ने तरबूज ज्यादा खा लिए हो तो ?’
इस बात पर भीड में से कोई चिल्लाया, ‘तरबूज इतने महंगे हो रहे
है ज्यादा कहां से खा लेगा ?’ परन्तु मदारी ने तुरन्त उस दर्षक को हाथ
जोडते हुए कहा, ‘भाई साहब, क्यों मेरे पेट पर लात मारते है ? आप
तरबूज की बात कर रहे है, कौनसी चीज महंगी नही है ? हर चीज के
भाव आसमान छू रहे है और सरकार पिछले ढाई साल से कह रही है कि
अगले सौ दिन में महंगाई कम होजायेगी. इसलिए मेहरबानी करके आप
जमूरे का जवाब जमूरे को ही देने दें, आपसे पूछंू तब आप बताना.’
फिर उसने जमूरे को ललकारा ‘हंा बेटा बोल’
...‘तरबूज ज्यादा खा लिए हो तो दो माषा काला नमक खाएं’
जमूरा बोला.
‘ओैर गम ज्यादा खा लिया हो तो क्या करें ?’
...‘दो ठहाकें हास्यरस के लगाले अल्लाह ने चाहा तो सब ठीक हो
जायेगाइसी
तरह मदारी और जमूरे के बीच सवालों के आदान प्रदान से
पता लगा कि अगर षराब का नषा ज्यादा चढ गया हो तो दो सेब-
उॅकारजी हलवाई की बेसनवाली सेव नही- फलों वाली सेब, का रस तथा
पैसों का नषा ज्यादा हो गया हो तो दो-एक ऐब का रस पिला दें, नषा
कम हो जायेगाअगर
गन्ना ज्यादा खा लिया हो तो 2-3 बेर खाने से गन्ना हजम
हो जाता है ओैर बेर ज्यादा खा लिया हो तो गन्ना चूसलें. इसी तरह 5
वर्ष जिन्होंने जनता को चूसा हो तो चुनाव के 5 सप्ताह जनता उन्हें
चूसलें सब बराबर हो जायेगाजमूरे
ने पूछने पर यह भी बताया कि मांस या मूली ज्यादा खा लेने
से पेट का अफारा आ गया हो तो गुड खाना चाहिए औेर महंगाई तथा
भ्रष्टाचार ज्यादा हो गया हो तो उधर से ध्यान हटाने के लिए तरह तरह
के षगूफें छोडने चाहिए या कोई रथ लेकर निकल जाना चाहिए.
आगे मदारी अपनी असली बात पर आता लेकिन उसी समय
बाजार में दो सांड आपस में लडते-लडते उधर ही आ गए जिससे मजमा
बीच में ही समाप्त हो गया और सब अपने अपने घर चले गए.
षिव षंकर गोयल

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