उसकी दलित बिरादरी उसे सियासत के सितम का शिकार बताती है. अब जोधपुर की उस मरहूम नर्स - भंवरी देवी की दास्ताँ सिनेमा के रुपहले पर्दे पर होगी.
राजनीति के गलियारों में भंवरी का कथित दैहिक शोषण और फिर उसकी कथित हत्या ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया. अब फिल्म निर्माता रंजीत शर्मा 'भंवरी का जाल ' नाम से फिल्म बनाने अपनी पूरी टीम के साथ जोधपुर जा पहुंचे है. राज्य के जेल विभाग ने उन्हें फिल्म बनाने की अनुमति दे दी है.
रंजीत शर्मा ने बीबीसी से कहा ये फिल्म सत्य पर आधारित होगी. लोग अदाकारा साधिका रंधावा में भंवरी को देखेंगे.
साधिका अपने इस किरदार को लेकर बहुत उत्साहित है. वो भंवरी के हाव भाव, मनोदशा और उसकी जीवन शैली को पढ़ रही है. साधिका इससे पहले एक फिल्म और कई धारावाहिकों में काम कर चुकी है.
खुद राधिका रंधावा का कहना है कि "मैं भंवरी के पति अमरचंद से जेल में मिलने जा रही हूँ. कुछ जानकारी हासिल करुँगी.मैं उसके बाकी परिजनों से मिलूंगी. मैं भंवरी को गलत नहीं मानती, मगर मंजिल के लिए रास्ता भी सही होना चाहिए"
भंवरी का नाम बीते साल तब सुर्खियों में आया जब उसके पति अमरचंद ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. वो इन खबरों के बाद लापता हो गई कि भंवरी का तत्कालीन जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा के साथ अंतरंग संबंधों वाला एक वीडियो बाजार में आ गया है.
इस मामले ने तूल पकड़ा तो पहले मदेरणा को इस्तीफा देना पड़ा और फिर सीबीआई ने जाँच शुरू की तो मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई सहित कोई पन्द्रह लोगों को भंवरी के अपरहण और फिर हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
राजनीति और विवाद
अभी सीबीआई को मलखान और इंदिरा विश्नोई की भी तलाश है.इन नेताओ ने हत्या के आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
फिल्म के निर्देशक राकेश सैनी ने कहते है भंवरी का जाल की चार दिन की शुरुआती शूटिंग मुंबई में पूरी कर ली गई है. सैनी कहते हैं, ��अब हमारी टीम जोधपुर में है.ये पच्चीस दिन की शूटिंग का कार्यक्रम है.हमें उम्मीद है ये फिल्म अगस्त माह तक परदे पर होगी. इस फिल्म की शूटिंग जेल और उसकी असल जिन्दगी में पात्रो महिपाल, मलखान, अमरचंद, भंवरी के घर और गांव देहात पर केन्द्रित होगी.��
जेल के अधीक्षक एआर नियाजी ने बताया कि जेल के बाहरी आवरण तक शूटिंग की इजाजत दी है. इस फिल्म में सुदेश बेरी मलखान होंगे और कर्मवीर चौधरी में लोग मदेरणा का किरदार देखेंगे.
रंजीत शर्मा कहते हैं, ��ये एक जव्लत विषय था,इसलिए मुझे इस घटना में निहित सच ज़माने के सामने रखने का भाव आया.��
भंवरी की वास्तविक जिन्दगी को लेकर बहुत अफसाने हवा में है. मगर वो अपनी नट (दलित) बिरादरी में पहली ऐसी लड़की थी,जिसने तालीम हासिल की,मर्दों का वर्चस्व तोड़ कर नर्स का प्रशिक्षण लिया और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी हासिल की.
जोधपुर में दलित अधिकार कार्यकर्ता मूलाराम कहते है, ��वो हमारी नायक थी.पारम्परिक समाज में एक दलित लड़की का पढ़ लिख्र कर इस तरह आगे बढना आसान नहीं था.उसने जैसलमेर के दुरूह रेगिस्तान में जाकर नौकरी की.वो अपने तीनों बच्चों को बेहतरीन तालीम दिला रही थी.मगर अफ़सोस उसे जिन्दा नहीं रहने दिया गया.��
दलितों का दुख
महिपाल मदेरणा को भंवरी देवी मामले में गिरफ्तार किया गया था. दलितों को दुःख है कि कुछ जगह मीडिया में उसकी गलत छवि पेश की गई. मूलाराम कहते हैं, ��वो रचनात्मकता की तस्वीर थी. वो खुद एक कलाकार थी. उसने अलबम में काम किया.गीत संगीत में प्रवीण थी. उसमें सर्जन का जज्बा था. नेताओं के सम्पर्क आने से पहले भंवरी पर कोई धब्बा नहीं था.उसकी जिन्दगी बहुत खुशगवार थी.पर उसकी ज़िन्दगी में मोड़ तब आया जब वो अपने तबादले के लिए नेताओं से मिली फिर आप ही बताइए भंवरी को इस मक़ाम तक पहुँचाने के लिए कौन जिमेदार है.��
समय के सलीब पर लटकी औरत का किरदार फिल्म निर्माताओं को लुभाता रहा है. इससे पहले फिल्म निर्माता मरहूम जगमोहन मूंदड़ा ने जयपुर जिले के एक गांव भतेरी की एक साथिन भंवरी की आप बीती को सिनेमा के पर्दे पर उतारा था.
ये भंवरी कथित तौर पर गांव में बाल विवाह का विरोध करने पर 1992 दण्डित की गई और सामूहिक बलात्कार का शिकार बनी. मूंदड़ा की फिल्म बवंडर ने रजत पट पर धूम मचाई होगी.मगर भंवरी की जिन्दगी वैसी ही है जैसे पहले थी.
जोधपुर की भंवरी ना जाने किस बियाबान मरुस्थल के हिस्से में मौत के घाट उतारी गई.विडम्बना देखिये वो जिन्दगी भर परदे पर आने का ख्वाव देखती रही लेकिन उसका संसार स्थानीय निर्माताओ के छोटे छोटे संगीत अलबम से आगे नहीं बढ़ सका.
अब उसी दिवंगत भंवरी पर फिल्म बन रही है.फिल्म होगी,कलाकार होंगे,किरदार होंगे और तमाशबीन भी होंगे.मगर वो भंवरी उसमे कहीं नहीं होगी.
लेखक श्री नारायण बारेठ राजस्थान के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं और लंबे समय तक बीबीसी से जुड़े हैं
राजनीति के गलियारों में भंवरी का कथित दैहिक शोषण और फिर उसकी कथित हत्या ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया. अब फिल्म निर्माता रंजीत शर्मा 'भंवरी का जाल ' नाम से फिल्म बनाने अपनी पूरी टीम के साथ जोधपुर जा पहुंचे है. राज्य के जेल विभाग ने उन्हें फिल्म बनाने की अनुमति दे दी है.
रंजीत शर्मा ने बीबीसी से कहा ये फिल्म सत्य पर आधारित होगी. लोग अदाकारा साधिका रंधावा में भंवरी को देखेंगे.
साधिका अपने इस किरदार को लेकर बहुत उत्साहित है. वो भंवरी के हाव भाव, मनोदशा और उसकी जीवन शैली को पढ़ रही है. साधिका इससे पहले एक फिल्म और कई धारावाहिकों में काम कर चुकी है.
खुद राधिका रंधावा का कहना है कि "मैं भंवरी के पति अमरचंद से जेल में मिलने जा रही हूँ. कुछ जानकारी हासिल करुँगी.मैं उसके बाकी परिजनों से मिलूंगी. मैं भंवरी को गलत नहीं मानती, मगर मंजिल के लिए रास्ता भी सही होना चाहिए"
भंवरी का नाम बीते साल तब सुर्खियों में आया जब उसके पति अमरचंद ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. वो इन खबरों के बाद लापता हो गई कि भंवरी का तत्कालीन जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा के साथ अंतरंग संबंधों वाला एक वीडियो बाजार में आ गया है.
इस मामले ने तूल पकड़ा तो पहले मदेरणा को इस्तीफा देना पड़ा और फिर सीबीआई ने जाँच शुरू की तो मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई सहित कोई पन्द्रह लोगों को भंवरी के अपरहण और फिर हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
राजनीति और विवाद
अभी सीबीआई को मलखान और इंदिरा विश्नोई की भी तलाश है.इन नेताओ ने हत्या के आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
फिल्म के निर्देशक राकेश सैनी ने कहते है भंवरी का जाल की चार दिन की शुरुआती शूटिंग मुंबई में पूरी कर ली गई है. सैनी कहते हैं, ��अब हमारी टीम जोधपुर में है.ये पच्चीस दिन की शूटिंग का कार्यक्रम है.हमें उम्मीद है ये फिल्म अगस्त माह तक परदे पर होगी. इस फिल्म की शूटिंग जेल और उसकी असल जिन्दगी में पात्रो महिपाल, मलखान, अमरचंद, भंवरी के घर और गांव देहात पर केन्द्रित होगी.��
जेल के अधीक्षक एआर नियाजी ने बताया कि जेल के बाहरी आवरण तक शूटिंग की इजाजत दी है. इस फिल्म में सुदेश बेरी मलखान होंगे और कर्मवीर चौधरी में लोग मदेरणा का किरदार देखेंगे.
रंजीत शर्मा कहते हैं, ��ये एक जव्लत विषय था,इसलिए मुझे इस घटना में निहित सच ज़माने के सामने रखने का भाव आया.��
भंवरी की वास्तविक जिन्दगी को लेकर बहुत अफसाने हवा में है. मगर वो अपनी नट (दलित) बिरादरी में पहली ऐसी लड़की थी,जिसने तालीम हासिल की,मर्दों का वर्चस्व तोड़ कर नर्स का प्रशिक्षण लिया और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी हासिल की.
जोधपुर में दलित अधिकार कार्यकर्ता मूलाराम कहते है, ��वो हमारी नायक थी.पारम्परिक समाज में एक दलित लड़की का पढ़ लिख्र कर इस तरह आगे बढना आसान नहीं था.उसने जैसलमेर के दुरूह रेगिस्तान में जाकर नौकरी की.वो अपने तीनों बच्चों को बेहतरीन तालीम दिला रही थी.मगर अफ़सोस उसे जिन्दा नहीं रहने दिया गया.��
दलितों का दुख
महिपाल मदेरणा को भंवरी देवी मामले में गिरफ्तार किया गया था. दलितों को दुःख है कि कुछ जगह मीडिया में उसकी गलत छवि पेश की गई. मूलाराम कहते हैं, ��वो रचनात्मकता की तस्वीर थी. वो खुद एक कलाकार थी. उसने अलबम में काम किया.गीत संगीत में प्रवीण थी. उसमें सर्जन का जज्बा था. नेताओं के सम्पर्क आने से पहले भंवरी पर कोई धब्बा नहीं था.उसकी जिन्दगी बहुत खुशगवार थी.पर उसकी ज़िन्दगी में मोड़ तब आया जब वो अपने तबादले के लिए नेताओं से मिली फिर आप ही बताइए भंवरी को इस मक़ाम तक पहुँचाने के लिए कौन जिमेदार है.��
समय के सलीब पर लटकी औरत का किरदार फिल्म निर्माताओं को लुभाता रहा है. इससे पहले फिल्म निर्माता मरहूम जगमोहन मूंदड़ा ने जयपुर जिले के एक गांव भतेरी की एक साथिन भंवरी की आप बीती को सिनेमा के पर्दे पर उतारा था.
ये भंवरी कथित तौर पर गांव में बाल विवाह का विरोध करने पर 1992 दण्डित की गई और सामूहिक बलात्कार का शिकार बनी. मूंदड़ा की फिल्म बवंडर ने रजत पट पर धूम मचाई होगी.मगर भंवरी की जिन्दगी वैसी ही है जैसे पहले थी.
जोधपुर की भंवरी ना जाने किस बियाबान मरुस्थल के हिस्से में मौत के घाट उतारी गई.विडम्बना देखिये वो जिन्दगी भर परदे पर आने का ख्वाव देखती रही लेकिन उसका संसार स्थानीय निर्माताओ के छोटे छोटे संगीत अलबम से आगे नहीं बढ़ सका.
अब उसी दिवंगत भंवरी पर फिल्म बन रही है.फिल्म होगी,कलाकार होंगे,किरदार होंगे और तमाशबीन भी होंगे.मगर वो भंवरी उसमे कहीं नहीं होगी.
लेखक श्री नारायण बारेठ राजस्थान के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं और लंबे समय तक बीबीसी से जुड़े हैं
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