अजमेर विकास प्राधिकरण (पूर्व यूआईटी) की वेबसाइट दो मायनों में त्रुटिपूर्ण है। पहली यह कि इसमें सूचनाएं या तो डाली नहीं जाती हैं या वे अपूर्ण/डिफेक्टिव डाली जाती हैं। दूसरी यह कि इस वेबारसाइट मे सिटीजन चार्टर नहीं है जिसे किसी भी विभाग की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है।
विकास प्राधिकरण जनता व सरकार के साथ कई प्रकार से बेईमानी कर रहा है। एक तो यह कि रिकार्ड पर यह बताया ताजा है कि उसने कानूनी/विभागीय अनिवार्यता के कारण वेबसाइट का निर्माण कर लिया है ताकि सरकार यह न कहे कि प्राधिकरण की वेबसाइट क्यों नहीं बनी है। दूसरी यह कि इसमें जो आवश्यक व जनता की जानकारी के लिए जरूरी/महत्वपूर्ण जानकारियां/सूचनाएं हैं, वे नहीं डाली जाती।
किसी भी सरकारी या अद्र्ध सरकारी/स्वायत्तशाषी विभाग को अपनी वेबसाइट बनानी आवश्यक है। इस वेबसाइट के माध्यम से यह बताना भी आवश्यक है कि यह विभाग किस कार्य के लिए बनाया गया है तथा वह जनता के किस-किस काम को कितने समय में पूरा करेगा। इन कार्यों के लिए विभाग ने किस प्रकार से व्यवस्था कर रखी है। से सब बातें विभाग अपने सिटीजन चार्टर के माध्यम से जनता को बताता है, परन्तु खेद, दु:ख व शर्मिन्दगी का बात है कि यह जानकारी (सिटीजन चार्टर)अभी तक इस वेबसाइट पर डाली ही नहीं गई है। अभी तक सिटीजन चार्टर का चैप्टर बनाया ही नहीं गया है। यदि वेबाइट खोलकर देखेगें तो यह तो दिखाई देगा कि इस विभागर का सिटीजन चार्टर है, परन्तु जब अन्दर झांककर देखेगें तो मालुम होगा कि सिटीजन चार्टर का निर्माण प्रारम्भ से ही नहीं किया गया है। आज भी उस कॉलम में यही लिखा आता है कि इसका निर्माण कार्य चल रहा है। वेबसाइट को प्रारम्भ हुए पांच बरस बीत भी चुके हैं परन्तु यह पंचवर्षीय योजना से भी अधिक समय लेने वाला कार्य बताया जा रहा है।
इस वेबसाइट में अनगिनत खामियां तो हैं हीं इसके माध्यम से जनता से छुपाव का खेल भी खेला जा रहा है। इस वेबसाइट पर न्यास/प्राधिकरण मीटिंगों (मिनिट्स), सम्पूर्ण बजट, नियमन फाइलों की नाम, पते सहित पूरी सूची, संस्थाओं, व्यक्तियों, प्रतिष्ठानों आदि को रियायती, आधी/पूरी दर पर आवंटन भूखण्ड आदि अनेक जानकारियां डाली ही नहीं जाती। इसके पीछे यही मकसद है कि जनता को पता ही न चले कि उसके नगर के विकास का जिम्मा धारण करने वाली संस्था किस-किस का विकास और कैसे-कैसे कर ही है। बजट का पूरा विवरण न डालकार छुपाया जा रहा है कि किस कार्य के लिए कितना पैसा व किस शर्त पर खर्च किया जा रहा है।
खेद है कि अजमेर के राजनीतिक बंधुओं ने किसी प्रकार की कोई ऐसी पहल नहीं की है, जिससे अजमेर विकास प्राधिकरण (नगर सुधार न्यास) की वेबसाइट पर आवश्यक सामग्री प्रदर्शित हो और जनता को सही व सम्पूर्ण जानकारियां/सूचनाएं इस वेबसाइट के माध्यम से मिल सकें।
यदि हम अन्य नगर सुधार न्यास व जेडीए जयपुर की वेबसाइट का अवलोकन करें तो यह साफ हो जायेगा कि अजमेर की वेब साइट में वहां के मुकाबले शून्य के बराबर सूचनाएं हैं।
अजयमेरु टाइम्स ने ही प्रथम बार यह बात उजागर की कि नगर सुधार न्यास ने इस वेबसाइट को बनाने के लिए करीब 1 करोड़ खर्च किए हैं, परंतु जनता के लिए जो आवश्यक सामग्री है, वह इस वेबसाइट पर डाली नहीं जा रही है, जिसके कारण भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंचा है और नरेन शाहनी जैसे साफ सुथरी छवि के व्यक्ति भी उससे बच नहीं पाए।
और जानकारियों की छोडिय़े, अकेले नियमन के मामले को ही लें तो, नियमन हेतु जो फाइल 15 वर्ष पूर्व लगी, वह आज भी वहीं की वहीं है जबकि उसके बाद की फाइलों को कभी का निपटा दिया गया है। यदि वेबासाइट पर यह सूचना डालदी जाती है तो सभी को पता चल जाता है कि नई फाइलें क्यों निपटाई जा रही और पुरानी फाइलें क्यों नहीं निपट रही हैं। ये सब घाल-मेल वेबसाइट की गड़बड़ी से आगे बढ़ रहा है।
यदि आज नियमन हेतु किसी ने 15 वर्ष पूर्व फाइल लगाई है और नियमन नहीं हो पाया है और यदि वह जानना चाहे कि उसकी फाइल की क्या स्थिति है, तो वह कितने भी प्रयास करले तो भी उसे न्यास से कोई जवाब नहीं मिलेगा। यानि कि न तो न्यास सीध तौर पर कोई जानकारी दे रहा है और न ही वेबसाइट पर जानकारी मुहैया करवा रहा है।
अफसोस तो इस बात का है कि आए दिन चौराहों पर धरना देने वाले, कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रवाद का ध्वज फहराने वाले भी कोई नेता इस प्रकरण में एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।
अजमेर विकास प्राधिकरण के वर्तमान अध्यक्ष श्री हेमन्त गेरा साहब से इस सम्बन्ध में सुधार किए जाने की पूरी उम्मीद है, प्रार्थना यही है कि इस विभाग में कार्य करने का उन्हें इतना समय मिल जाए कि वे इस विभाग की न सिर्फ सम्हाल कर सकें बल्कि ऐसी व्यवस्था भी बैठा सकें कि आगे के लिए भी गाड़ी पटरी पर आ जाए।
एन. के. जैन सीए
विकास प्राधिकरण जनता व सरकार के साथ कई प्रकार से बेईमानी कर रहा है। एक तो यह कि रिकार्ड पर यह बताया ताजा है कि उसने कानूनी/विभागीय अनिवार्यता के कारण वेबसाइट का निर्माण कर लिया है ताकि सरकार यह न कहे कि प्राधिकरण की वेबसाइट क्यों नहीं बनी है। दूसरी यह कि इसमें जो आवश्यक व जनता की जानकारी के लिए जरूरी/महत्वपूर्ण जानकारियां/सूचनाएं हैं, वे नहीं डाली जाती।
किसी भी सरकारी या अद्र्ध सरकारी/स्वायत्तशाषी विभाग को अपनी वेबसाइट बनानी आवश्यक है। इस वेबसाइट के माध्यम से यह बताना भी आवश्यक है कि यह विभाग किस कार्य के लिए बनाया गया है तथा वह जनता के किस-किस काम को कितने समय में पूरा करेगा। इन कार्यों के लिए विभाग ने किस प्रकार से व्यवस्था कर रखी है। से सब बातें विभाग अपने सिटीजन चार्टर के माध्यम से जनता को बताता है, परन्तु खेद, दु:ख व शर्मिन्दगी का बात है कि यह जानकारी (सिटीजन चार्टर)अभी तक इस वेबसाइट पर डाली ही नहीं गई है। अभी तक सिटीजन चार्टर का चैप्टर बनाया ही नहीं गया है। यदि वेबाइट खोलकर देखेगें तो यह तो दिखाई देगा कि इस विभागर का सिटीजन चार्टर है, परन्तु जब अन्दर झांककर देखेगें तो मालुम होगा कि सिटीजन चार्टर का निर्माण प्रारम्भ से ही नहीं किया गया है। आज भी उस कॉलम में यही लिखा आता है कि इसका निर्माण कार्य चल रहा है। वेबसाइट को प्रारम्भ हुए पांच बरस बीत भी चुके हैं परन्तु यह पंचवर्षीय योजना से भी अधिक समय लेने वाला कार्य बताया जा रहा है।
इस वेबसाइट में अनगिनत खामियां तो हैं हीं इसके माध्यम से जनता से छुपाव का खेल भी खेला जा रहा है। इस वेबसाइट पर न्यास/प्राधिकरण मीटिंगों (मिनिट्स), सम्पूर्ण बजट, नियमन फाइलों की नाम, पते सहित पूरी सूची, संस्थाओं, व्यक्तियों, प्रतिष्ठानों आदि को रियायती, आधी/पूरी दर पर आवंटन भूखण्ड आदि अनेक जानकारियां डाली ही नहीं जाती। इसके पीछे यही मकसद है कि जनता को पता ही न चले कि उसके नगर के विकास का जिम्मा धारण करने वाली संस्था किस-किस का विकास और कैसे-कैसे कर ही है। बजट का पूरा विवरण न डालकार छुपाया जा रहा है कि किस कार्य के लिए कितना पैसा व किस शर्त पर खर्च किया जा रहा है।
खेद है कि अजमेर के राजनीतिक बंधुओं ने किसी प्रकार की कोई ऐसी पहल नहीं की है, जिससे अजमेर विकास प्राधिकरण (नगर सुधार न्यास) की वेबसाइट पर आवश्यक सामग्री प्रदर्शित हो और जनता को सही व सम्पूर्ण जानकारियां/सूचनाएं इस वेबसाइट के माध्यम से मिल सकें।
यदि हम अन्य नगर सुधार न्यास व जेडीए जयपुर की वेबसाइट का अवलोकन करें तो यह साफ हो जायेगा कि अजमेर की वेब साइट में वहां के मुकाबले शून्य के बराबर सूचनाएं हैं।
अजयमेरु टाइम्स ने ही प्रथम बार यह बात उजागर की कि नगर सुधार न्यास ने इस वेबसाइट को बनाने के लिए करीब 1 करोड़ खर्च किए हैं, परंतु जनता के लिए जो आवश्यक सामग्री है, वह इस वेबसाइट पर डाली नहीं जा रही है, जिसके कारण भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंचा है और नरेन शाहनी जैसे साफ सुथरी छवि के व्यक्ति भी उससे बच नहीं पाए।
और जानकारियों की छोडिय़े, अकेले नियमन के मामले को ही लें तो, नियमन हेतु जो फाइल 15 वर्ष पूर्व लगी, वह आज भी वहीं की वहीं है जबकि उसके बाद की फाइलों को कभी का निपटा दिया गया है। यदि वेबासाइट पर यह सूचना डालदी जाती है तो सभी को पता चल जाता है कि नई फाइलें क्यों निपटाई जा रही और पुरानी फाइलें क्यों नहीं निपट रही हैं। ये सब घाल-मेल वेबसाइट की गड़बड़ी से आगे बढ़ रहा है।
यदि आज नियमन हेतु किसी ने 15 वर्ष पूर्व फाइल लगाई है और नियमन नहीं हो पाया है और यदि वह जानना चाहे कि उसकी फाइल की क्या स्थिति है, तो वह कितने भी प्रयास करले तो भी उसे न्यास से कोई जवाब नहीं मिलेगा। यानि कि न तो न्यास सीध तौर पर कोई जानकारी दे रहा है और न ही वेबसाइट पर जानकारी मुहैया करवा रहा है।
अफसोस तो इस बात का है कि आए दिन चौराहों पर धरना देने वाले, कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रवाद का ध्वज फहराने वाले भी कोई नेता इस प्रकरण में एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।
अजमेर विकास प्राधिकरण के वर्तमान अध्यक्ष श्री हेमन्त गेरा साहब से इस सम्बन्ध में सुधार किए जाने की पूरी उम्मीद है, प्रार्थना यही है कि इस विभाग में कार्य करने का उन्हें इतना समय मिल जाए कि वे इस विभाग की न सिर्फ सम्हाल कर सकें बल्कि ऐसी व्यवस्था भी बैठा सकें कि आगे के लिए भी गाड़ी पटरी पर आ जाए।
एन. के. जैन सीए
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