शुक्रवार, 22 जून 2012

सूनी सूनी सी आँखे

क्यों इसकी आँखों में
उदासी की हैं झलक
क्यों इसका चहेरा ..
लगता हैं निहिर सा
एक बेचारगी लिए हुए 
इस छोटी सी उम्र में
कौन सा हैं दर्द.. ..
जो ये खुद में समेटे हुए हैं
आँखों में सपनों की जगह
क्यों हैं किस अपने के लिए
अश्को का बसेरा
इस बालपन में किसका
हैं इंतज़ार अब....
सूनी आँखे तकती हैं किस
राह को ...
किसका इसे अब हैं इंतज़ार....
कहाँ गई इसकी ...चिड़िया सी
चहचाहट ...
वो मस्ती का आलम ...
वो घर भर में धमा चौकड़ी करना
बात बात में ''अम्मा ..अम्मा ''
चिल्ला कर उसका पल्लू पकड़ना
कहाँ हैं इसके बचपन वो मासूमियत
क्यों इसकी सूनी आँखों में
प्यार की तड़प नज़र आती हैं
अब इसका ,किस दर्द से रिश्ता हैं
क्यों ,अपने ही दामन में अश्क बहाती हैं
वो एहसास उन हाथों के छूने का
जिस से ,इसकी दुनिया महफूज़ थी
आज इसकी इस खाली खाली सी जिंदगी में
इसके ''पितामहः'' की कमी
साफ़,नज़र आती हैं ||
अंजु (अनु) चौधरी ..करनाल..हरियाणा

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