शुक्रवार, 29 जून 2012

अल्पसंख्यक का दर्जा देने से मुसलमान को क्या मिला?

इस देश में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 17 से 20 करोड़ मुस्लमान हैं। इनमें से एक भी यदि ये बता दे की इस अल्पसंख्यक शब्द का उसे या किसी और को कुछ लाभ आज तक मिला हो, मैं नहीं समझता की किसी को भी कोई लाभ आज दिन तक मिला हो, फिर क्या विड़म्बना है, क्यों हमें अलग थलग करने की सजिश रची गयी है? क्या हमें किसी तरह का शिक्षा या नौकरी या अन्य कोई लाभ आजादी से आज तक मिला, नहीं तो फिर क्या मतलब है हमारी इतनी बड़ी आबादी को देश के दुसरे लोगो से दूर रखने का।
दोस्तों ये सारा षडयंत्र है। हमें सब से काटे रखने का। जब किसी तरह का कोई अलग से प्रावधान नहीं तो क्यों कांग्रेस ने ये अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में हमे विभाजित करने की सजिश रची। मैं पूर्व संघ प्रमुख के इस बयान से पूर्णतया सहमत हूं की मुस्लमान इस देश में जब बहुसंख्यक है तो उसे अल्पसंख्यक क्यों कहा जाये और पूरे देश में अलग-थलग क्यों किया जाये। आखिर हम सब कुछ तो बहुसंख्यकों की तरह ही कर रहे हैं, फिर ये दागीला टीका किस लिए? मित्रों, इस देश में सरकार ने केंद्र हो या राज्य, सभी में अल्पसंख्यक आयोग बना रखे हैं, लेकिन उनका काम और उनको अधिकार के नाम पर कुछ भी नहीं है। राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक बजट सिर्फ 15 - 20 लाख रुपए है, जो सिर्फ अधिकारी और कर्मचारियों की तनख्वाह में चला जाता है, वे विकास की मोनिटिरिंग और सलाह क्या देंगे? क्यों कि उसके लिए राज्यभर में आयोग की गतिविधियां होना आवयशक है, परन्तु सरकार का बजट ही नहीं है। ये है सरकार की चिंता अल्पसंख्यकों के प्रति। मित्रों मैं ये बात इस विश्वास से यूं कह रहा हूं क्यों की पिछली सरकार में, में स्वयं राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग में बतोर सदस्य कार्य कर चुका हूं और पूरे राज्य में हमने जनसुनवाई की और लोगों की परेशानियों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया। वो तो मुख्यमंत्री महोदय संवेदनशील थीं, जो हमारी भावनाओं को समझ कर जल्द से जल्द निपटारा कर देती थीं, लेकिन उससे पहले आयोगों की दुर्दशा मात्र एक सरकारी दफ्तर के अलावा कुछ भी नहीं थी। मित्रों कहने का तात्पर्य ये है की आज अल्पसंख्यक खास कर मुस्लिम इलाकों की जो दुर्दशा है, वह किसी से छुपी हुई नहीं है। गन्दगी, बेरोजगारी, गरीबी, शिक्षा का अभाव, आखिर क्यों?
अगर आप (कांग्रेस) कहते हैं कि हम अल्पसंख्यक हैं तो हम में आपने ऐसे क्या सुर्खाब लगा दिए? बतायें कब और किस जगह आप ने विकास करवा दिया। सिर्फ राजस्थान ही नहीं पूरे देश में कोई एक शहर बता दें, जहा आप ने शिक्षा या रोजगार के लिए ईमानदारी से प्रयास किये हों? फिर ये ढोंग किस बात के लिए? क्यों हमे पूरे समाज से काटे रखा? उनमें इस भावना को जगाया की अरे ये सरकार तो सब कुछ सिर्फ अल्पसंख्यकों खास कर मुसलमानों के हितों की ही बात करती है। इस देश में हिन्दू दोयम दर्जे का नागरिक बना के रख दिया है, परन्तु मैं अपने हिन्दू भाइयों को बताना चाहूंगा कि इस कांग्रेस और दूसरे तथाकथित धरमनिरपेक्ष दलों ने ही मुसलमानों को तरक्की नहीं करने दी। मात्र असुरक्षा की भावना को पनपाये रखा। वरना 35 वर्ष तक बंगाल में शासन करने वाले कम्युनिस्ट के राज में तो मुसलमान बहुत तरक्की करना चाहिए था, पर मित्रों इस शासन में मुस्लमान गरीब से भिखारी बन गया। मित्रों, मैं खुद एक राष्टीय पार्टी की अल्पसंख्यक मोर्चे की रष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य और राजस्थान की प्रदेश कार्यसमिति में उपाध्यक्ष हूं,परन्तु में खुद अपनी पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष के सामने भी इस बात को ले के आऊंगा के ये अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक क्या है? हम अगर किसी पार्टी के सदस्य हैं, तो विभेद कैसा? अगर हम भी विभेद करेंगे तो जनता को क्या सन्देश देंगे? आखिर हम कहते हैं कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वेप्रथम है, फिर विभेद क्यों?
मित्रों, हम सब को मिल कर इस विभेद को दूर करना होगा और सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को चेताना होगा कि इस भेदभाव को दूर किया जाये और वाकई हम से प्रेम है, हमारा विकास चाहते हो तो सब से पहले हम सब को एक प्लेटफार्म पर आने दो, फिर मिल कर हमारे विकास की बातें करो। हमें अलग करने की इस योजना पर कार्य करना बंद करें अन्यथा हमारे बीच की ये दूरी हमारे बीच गृह युद्ध की नौबत न ला दे, जो शायद ये सरकार भी चाहती है कि इस देश में हर मजहब का व्यक्ति आपस में लड़ता रहे। हीन भावना से ग्रसित रहे कि किसी के हक को मार के दूसरे को दिया जा रहा है परन्तु वास्तविकता कुछ और है। इनकी सब बातों को ले कर कुछ लोग तुष्टिकरण की बात करते हैं, मित्रों वह भी गलत नहीं है क्यों कि जिस योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस हमारा फर्जी हितैषी बन कर खड़ी होती है, सब को लगता है की सारी की सारी थाली मुसलमानों को ही परोसी जा रही है परन्तु सच्चाई इस से कोसों दूर है। बेचारा (माफ कीजियेगा, इस शब्द पर भी कुछ लोग आपत्ति जताते हैं) मुस्लमान तो दोनों तरफ से पिस रहा है। पहली सरकार की गलत नीतियां, बाद में अपने ही लोगों के ताने, उसे ऐसे में बेचारा न लिखूं तो आप ही सुझायें की क्या लिखा जाये?
आज देश का कानून एक है, सविधान एक है, तो फिर विभेद किस का, हमें क्यों इस देश और हमारे अधिकारों से जानबूझ कर अलहदा किया जा रहा है? जब हमें अल्पसंख्यक होने का कोई लाभ नहीं तो फिर ये साजिश किसलिए।
-सैयद इब्राहिम फखर, एडवोकेट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें